मनुष्य की वास्तविक प्रकृति क्या है?
मनुष्य की वास्तविक प्रकृति क्या है?
सभी मनुष्य अपनी खुशी के लिए बाहरी कारणों पर निर्भर रहते हैं, जिसके कारण उसे दुख का भी सामना करना पड़ता है। जब हम वास्तव में अपने अंदर के सत्य को पहचान लेते हैं, तब सहज रूप से हम आनंद की अनुभूति करते हैं। जिस दिन हम अपने अंदर से आनंद की अनुभूति करना सीख जाते हैं तो उस दिन हमारा जीवन सफल हो जाता है। संसारिक सुख हमेशा मनुष्य पर निर्भर करता है। जबकि आनंद को प्राप्त करने में किसी बाहरी प्रेरणा की आवश्यकता नहीं पड़ती। बस हमारे विचारों में सच्चाई, सकारात्मक विचार और मन में संकल्प शक्ति होनी चाहिए। जिससे हम अपने लक्ष्य को पूर्ण करने में सफलता प्राप्त कर सकें। जिस दिन हम यह करने में सफल हो जाएंगे, उस दिन हमें आनंद की अनुभूति का अहसास करने के लिए कुछ नहीं करना पड़ेगा। आनंद कोई लक्ष्य नहीं है। यह तो हमारे मन की प्रकृति है। जो अपने अंदर की चेतन तत्व का ध्यान और चिंतन करने से हमें उस आनंद स्वरूप परमात्मा की अनुभूति कराता है।
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