सप्तमी: मां कालरात्रि


सप्तमी: मां कालरात्रि 

या देवी सर्वभूतेषु मां कालरात्रि रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
माता कालरात्रि शत्रुओं का नाश करती है और जीवन में सभी बाधाओं को दूर कर साधक को सुख-शांति प्रदान करती है। साधक मां कालरात्रि का ध्यान ललाट में करते हैं। 
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मां दुर्गा की सातवीं शक्ति कालरात्रि के नाम से जानी जाती हैं। नवरात्रि के सप्तमी वाले दिन मां कालरात्रि की उपासना की जाती है। इस दिन साधक का मन ‘सहस्रार‘ चक्र में स्थित रहता है। इसके लिए ब्रह्मांड की समस्त सिद्धियों का द्वार खुलने लगता है। ध्यान रखना जरूरी है कि मां काली और कालरात्रि एक दूसरे की परिपूरक हैं। मां के इस रूप की साधना करने से राक्षस, भूत-प्रेत, पिशाच और नकारात्मक ऊर्जाओं का नाश होता है। सहस्रार चक्र में स्थित साधक का मन पूर्णतः मां कालरात्रि के स्वरूप में अवस्थित रहता है। उनके साक्षात्कार से मिलने वाले पुण्य से ज्ञान, शक्ति और धन का साधक भागी हो जाता है। उसके समस्त पापों-विघ्नों का नाश हो जाता है और अक्षय पुण्य-लोकों की प्राप्ति होती है।

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