आध्यात्म क्या है?

 


आध्यात्म क्या है?
भौतिक जीवन में सुख और आनंद प्राप्त करने का एक मात्र रास्ता है, जिसे हम अध्यात्म कहते हैं। अध्यात्म वह चीज है जो भौतिक शरीर के भीतर निवास करती है, जिसके द्वारा मनुष्य को सिद्धियां मिलती हैं। भौतिक शक्ति और आध्यात्मिक शक्ति को जब हम मिलाते हैं, तो नए किस्म की चीजें मिलती हैं। जिसे हम ‘‘विभूतियां‘‘ कहते हैं। विभूतियां वो चीजें हैं जो दिखलाई नहीं पड़ती हैं। हमारी नसों में-नाड़ियों में जो शक्ति है, उसे हम दिखा नहीं सकते। हम नसों को दिखा सकते हैं, किंतु उनकी शक्ति को नहीं। हम अपनी चेतना को भी नहीं दिखा सकते। वह भी उसी प्रकार की चीज है। ब्रह्माण्ड में जो चीजें विद्यमान हैं, वे सारी की सारी चीजें हमारे शरीर में भी विद्यमान हैं। इतना ही नहीं, हमारे अंदर दिव्यशक्तियां भी विद्यमान हैं।
दिव्यशक्ति किसे कहते हैं? यह देवताओं की शक्ति है जो हमारे अंग-अंग में विद्यमान है। इसके अलावा हमारे भीतर परमात्मा विद्यमान हैं। परमात्मा क्या है? यह आस्था है, संवेदना है। हम अपनी चेतना को आस्था एवं संवेदना के साथ जोड़ लें, तो हम सारी खुशी प्राप्त कर सकते हैं। हमारे अंदर ‘‘शिवोअहं‘‘ की भावना आ सकती है। चेतना को सुप्रीम पावर के साथ जोड़ लें, तो मनुष्य बहुत ज्यादा सुख तथा आनंद का अनुभव कर सकता है।
इसके साथ ही हमारे शरीर के हर चीज के दो रूप हैं। एक है भौतिक रूप आंखों का, जिसके द्वारा हम बाहर की चीजें देख सकते हैं। आंखों का आध्यात्मिक रूप जिसे हम आज्ञाचक्र कहते हैं, दिव्यदृष्टि कहते हैं। जिसके द्वारा दूर की चीजें, भूत, वर्तमान, भविष्य की चीजें देख सकते हैं। इसे हम माइक्रोस्कोप से भी नहीं देख सकते हैं। संजय ने अपनी दिव्यदृष्टि से महाभारत के सारे दृश्य देखे और धृतराष्ट्र को पूरा का पूरा विवरण सुनाया था। हमारे भीतर बहुत सारी चीजें मौजूद हैं हमको उनका ज्ञान ही नहीं हैं। इन शक्तियों को जागृत करना ही शिवयोग का सिद्धांत हैं। अध्यात्म और साधना के माध्यम से ही हम इन शक्तियों प्राप्त कर सकते हैं।


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