दूसरों की खुशी में भी क्यों खुश रहें आप?
दूसरों की खुशी में भी क्यों खुश रहें आप?
वैसे तो जीवन में शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति होगा जो खुश नहीं रहना चाहता हो। सभी लोगों की एक ही इच्छा होती है कि वह जीवन में सदैव खुश रहे और दुख-कष्ट उनके जीवन से दूर रहे। कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो तर्क देते हैं कि जीवन मिला है तो कभी दुख तो कभी सुख मिलेगा ही क्योंकि दोनों ही जीवन रूपी सिक्के के दो पहलू हैं। शिवयोग इस मत को स्वीकार नहीं करता क्योंकि शिवयोग में कहा गया है कि व्यक्ति वैसा ही जीवन जीता है जैसे विचार वह अपने मन में रखता है।
यदि आप अपने मन में दूसरों के प्रति घृणा या नफरत का भाव रखेंगे तो आपका जीवन सुखद कैसे हो सकता है? ऐसा इसलिए क्योंकि आपके मन में तो नकारात्मकता का वास है और इससे केवल नकारात्मक ऊर्जा का ही विस्तार आपके अंतर में होगा जिसकी परिणिति दुःख के रूप में ही होगी। इस लिए शिवयोग साधकों को मन में सकारात्मक भाव रखने की शिक्षा देता है। जब आप दूसरों की खुशी में अपने आपको खुश अनुभव करेंगे तो प्रकृति आपको और भी खुशी प्रदान करेगी क्योंकि प्रकृति कहती है कि इसको यह अच्छा लगता है इसलिए इसको यह भरपूर दो। शिवयोग के सिद्ध कहते हैं कि आत्म कल्याण के लिए जीवन में सदैव दूसरों के प्रति निःस्वार्थ प्रेम की भावना साधक को रखनी चाहिए।
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