कटु अनुभवों का त्याग क्यों जरूरी है?

 

कटु अनुभवों का त्याग क्यों जरूरी है?
मनुष्य जीवन में तब तक उन्नति और मूल उद्देश्य की पूर्ति नहीं कर सकता, जब तक उसके मन में क्षमा और दया का भाव नहीं होता। क्योंकि जब तक मनुष्य के मन में बैर का भाव व्याप्त होता है तब तक वह इस संसार में जन्म-मरण के चक्र में फंसकर रह जाता है और अपने जीवन के मूल उद्देश्य से भटक जाता है। इस लिए मनुष्य को चाहिए कि यदि कोई उसका अपमान कर देता है या कटु वचन बोलता है तो वह उसे तुरंत क्षमा कर दें। क्योंकि अपने मन में उसके प्रति बैर भावना रखने से वह ईश्वर प्रेम से सराबोर नहीं हो पाते हैं और बाकी सब उसको तुच्छ समझ कर उसकी उपेक्षा कर देते हैं। इसी लिए सिद्धों ने कहा है कि यदि समाज भक्तिमय आध्यात्मिकता को अपनाता है, तो सभी लोग सदैव सुखी रह सकेंगे।

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