भ्रम से ब्रह्म की यात्रा कैसे करें?

 


भ्रम से ब्रह्म की यात्रा कैसे करें?

अध्यात्म मनुष्य को सांसारिक माया और प्रपंचों के अंधकार से निकालकर वास्तविक सत्य से परिचित कराता है। संसार की माया इतनी घनीभूत है कि जिस लिए ईश्वर ने यह जीवन हमें दिया है उसके मूल से हम भटक जाते हैं। हम संसार के इस मायाजाल में पूरी तरह से उलझ जाते हैं और इसमें खो जाते हैं जिसका हमारे वास्तविक मूल से दूर-दूर तक लेना-देना नहीं होता। हम भौतिक सुख को ही वास्तविक सुख मान बैठते हैं और इसके चलते हम जीवन में तृष्णा और ईर्ष्या को अपना कर कष्टों को न्यौता दे बैठते हैं। अध्यात्म हमें इन मिथ्या और तुच्छ मानवीय विकारों से निकालकर सर्वश्रेष्ठ, परम शुद्ध और सर्वोच्च चेतना यानि कि परब्रह्म से जोड़ता है जो कि हमारा अंतिम सत्य है। अध्यात्म के सहारे हम जीवन के कर्तव्यों का निर्वाहन करते हुए आनंद की अनुभूति कर पाते हैं। इस आत्मा को उस परमात्मा से विलय कर, जन्म-मरण के चक्र से मुक्त हो मोक्ष की प्राप्ति कर सकते हैं। अध्यात्म ही हमें लोभ, मोह, अहंकार, काम व क्रोध जैसे निचले स्तर के मानवीय विकारों से मुक्ति दिलाता है। अध्यात्म के मार्ग पर चलकर ही सिद्धों ने सिद्धत्व की प्राप्ति की है।

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