क्या प्रारब्ध को बदला जा सकता है?
क्या प्रारब्ध को बदला जा सकता है?
अभी तक हम अपने समाज में सुनते आये हैं कि प्रारब्ध का लिखा बदला नहीं जा सकता है। इसलिए जो हमारे प्रारब्ध में लिखा है उसे तो हमें भोगना ही पड़ेगा। यह अवधारणा बहुत प्रगाढ़ता से हमारे मस्तिष्क में बैठा दी गई है। वास्तविकता में मनुष्य अपने प्रारब्ध को बदल सकता है। प्रारब्ध को भोगने की बात एक निराशावादी और कर्म करने से बचने वाला व्यक्ति ही स्वीकार कर सकता है। मनुष्य यदि चाहे तो साधना के माध्यम से वह अपना प्रारब्ध बदल सकता है और बहुतों ने बदला भी है। भविष्य में घटित होने वाली घटना को भी साधना के माध्यम से बदला जा सकता है। शिवयोग की साधनाएं इतनी प्रभावी होती हैं कि जिनको नियमित रूप से यदि किया जाय तो हम अपना वर्तमान और भविष्य दोनों को बदलने की क्षमता रखते हैं। शिवयोग का उद्देश्य ही है कि इन शक्तिशाली साधनाओं के माध्यम से मानव के जीवन से निराशा को दूर कर आशा के प्रकाश से प्रकाशित कर दिया जाए।
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