संचित कर्मों से मुक्ति कैसे पाएं?


संचित कर्मों से मुक्ति कैसे पाएं?


लोग कहते हैं कि भविष्य यानि भाग्य में जो लिखा है उसे तो भोगना ही पड़ेगा। यह कथन वास्तविक रूप से सत्य नहीं है क्योंकि शिवयोग में कहा गया है कि व्यक्ति अपना भविष्य ही नहीं बल्कि वर्तमान को भी बदल सकता है। शिवयोगी गुरु जब शिष्य को शिवयोग की सिद्ध और दिव्य साधनाओं में दीक्षित करते हैं तब वो उसकी सोयी हुई अंतर चेतना को जागृत कर देते हैं। अनंत की दिव्य चेतना के साथ जुड़ने के लिए मंत्र के बीज को साधक के हृदय में स्थापित कर देते हैं। प्रतिदिन जब साधक अनंत की दिव्य शक्तियों का आवाहन करके अपनी साधना करता है तो धीरे धीरे उसके तप की ऊर्जा में उसके संचित कर्म जलकर नष्ट होते हैं और उसका वर्तमान और भविष्य बदलना आरंभ हो जाता है। शिवयोग की वो तीनों शक्तियां जिनकी मदद से व्यक्ति अपना भूत, वर्तमान और भविष्य को बदल पाता है, वो हैं-

पहली- संजीवनी शक्ति: संजीवनी शक्ति भगवान महामृत्युंजय की वो शक्ति है जो ब्रह्माण्ड की 32 प्रकार की जीवनी शक्तियों के योग से बनी है और साधक को अनंत की शक्ति से जोड़ती है।

दूसरी - प्राण शक्ति: हर जीव के भीतर विद्यमान प्राण शक्ति ही वो शक्ति है जिसके कारण वो जीवित है। इस प्राण ऊर्जा को कैसे बढ़ाना है और कैसे शरीर के रोगी पर केंद्रित कर उसे निरोगी करना है, शिवयोग यह साधना सिखाता है।

तीसरी- जागृत मंत्र की शक्ति: यह उन बीज मंत्रों की शक्ति है जिनका उच्च स्वर में, श्रद्धा से नित्य पाठ करने से संचित कर्मों का संपूर्ण नाश होता है।
जब साधक इन तीनों शक्तियों को प्रयोग कर साधना करता है तो फिर भले ही कष्टों का कितना भी बड़ा पहाड़ क्यों न हो वो इन सबको नष्ट करने में सफल होता है।

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