क्रोध आने पर क्या करें?
क्रोध आने पर क्या करें?
शास्त्र कहते हैं कि क्रोध मनुष्य के पतन का मूल कारण होता है। क्योंकि जब मनुष्य क्रोध अवस्था में होता है तो उसके मन में बदले का भाव दूसरे के प्रति होता है। इस भाव के चलते मनुष्य अपने सुखद जीवन को अधोगति की ओर लेकर चला जाता है। इसके अलावा यदि मनुष्य इसी भाव के साथ ही मृत्यु अवस्था को प्राप्त करता है तो बदले की ये भावना कई हजार गुना बढ़ जाती है। जिसके चलते वह अपने अगले जीवन को भी प्रभावित कर लेता है और जन्म-मरण के बंधन में फंस कर रह जाता है। इस लिए शिवयोग कहता है व्यक्ति को सदैव अपने मन में दया और क्षमा का भाव रखना चाहिए। ताकि वह जीवन में आध्यात्मिक उन्नति को प्राप्त कर सद-चित-आनंद की अवस्था को प्राप्त कर सके। क्रोध आने पर मनुष्य को कोई भी फैसला लेने या प्रतिक्रिया व्यक्त करने से बचने का अभ्यास करना चाहिए। क्रोध को दूर से देखने की कला सीख लेने से धीरे-धीरे क्रोध तिरोहित होने लगता है।
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