अंतर्यात्रा क्यों आवश्यक है?
अंतर्यात्रा क्यों आवश्यक है?
मनुष्य देश-विदेश घूमकर जिस परमात्मा को खोजता है, वास्तव में वह उसके भीतर ही विद्यमान हैं। वेदों में कहा गया है ‘‘अहम् ब्रह्मास्मि’’ जिसका अर्थ है - मैं ही ब्रह्म हूं।
मानव के पांच शरीर होते हैं, जो दिखता है, वह स्थूल शरीर है । इसके अलावा प्राण शरीर, मनोमय कोष, ज्ञानमय कोष और आनन्दमय कोष होते हैं जिन्हे ऊर्जा शरीर कहते हैं। जब एक सद्गुरु के सानिध्य में वह गहरे ध्यान में जाता है और अपने आनन्दमय कोष का अनुभव करता है तब उसे उस सत्- चित्त्- आनन्द की अनुभूति होती है। पंच तत्वों के साथ गुरु और शिव तत्व भी हमारे शरीर में ही विद्यमान होते हैं। गुरु तत्व जागृत होने पर उस परम तत्व यानि परमात्मा से भी साक्षात्कार हो जाता है।
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