ध्यान-साधना का महत्व क्या है?

 



ध्यान-साधना का महत्व क्या है?
शास्त्र कहते हैं कि जब ईश्वर ने साकार रूप धारण किया था। तब शिव से ही नारायण की उत्पत्ति हुई थी। इसके बाद नारायण की नाभि से कमल की नाल निकली, जिससे ब्रह्मा जी उत्पन्न हुए। इसके बाद भगवान ब्रह्मा और नारायण को उनके वास्तविक स्वरूप का ज्ञान तभी हुआ, जब उन्होंने तप किया था। ठीक इसी प्रकार मनुष्य का जीवन भी तप के बिना अधूरा और निरर्थक है। साधना के बिना उसका शुद्धिकरण नहीं हो सकता है और वह अपने आप से परिचित भी नहीं हो सकता है। हर व्यक्ति को यह जानने की आवश्यकता है कि वह कहां से आया है और उसके जीवन का मूल उद्देश्य क्या है। इस सवाल का जवाब व्यक्ति को साधना के माध्यम से ही प्राप्त हो सकता है और उस मूल उद्देश्य की पूर्ति कर वह अपने जीवन को पूर्ण कर सकता है।


Comments

Popular posts from this blog

Unlock Your Power with ShivYog Meditation: Experience Profound Benefits | Shiv Yog

मनुष्य की वास्तविक प्रकृति क्या है?

शुभ कार्य की शुरुआत कैसे करें?