शारीरिक योग के साथ आंतरिक योग भी जरूरी क्यों?

 


शारीरिक योग के साथ आंतरिक योग भी जरूरी क्यों?
शिवयोग में शारीरिक और आंतरिक, दोनों योग का समागम है। जिस प्रकार हम शिवयोग की शारीरिक और प्राणिक क्रियाओं के माध्यम से अपने संचित कर्मों को नष्ट कर अपने वर्तमान को अपने अनुसार निर्मित करते हैं उसी प्रकार आंतरिक योग के माध्यम से हम अपने पांचों शरीरों को परमात्मा से जोड़ने की कला को सीख पाते हैं। इस कला को हालांकि बहुत ही छिपा कर रखा गया है, ताकि मानव कल्याण के पुण्य कार्य को साकार किया जा सके। आंतरिक योग के माध्यम से हम सभी रोगों और पीड़ा का निदान कर सकते हैं। शिवयोग शिविरों में हुए मेडिकल परीक्षणों की रिपोर्टों को देखकर डाक्टरों ने भी इस बात को स्वीकारा है कि आज की आधुनिक चिकित्सा प्रणाली के साथ यदि शिवयोग चिकित्सा को जोड़ दिया जाए, तो हर लाइलाज बीमारी को संपूर्ण रूप से ठीक किया जा सकता है।

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