सफलता का मूल मंत्र क्या है?


 

सफलता का मूल मंत्र क्या है?

इस संसार में प्रत्येक मनुष्य सफलता के उच्चतम शिखर पर पहुंचना चाहता है। वह चाहे आध्यात्मिक क्षेत्र में हो या फिर भौतिक। लेकिन यह सफलता कैसे प्राप्त होगी, यह जानना बहुत अहम है। सफलता प्राप्त करने के पहले, व्यक्ति को खुद पर विश्वास करना सीखना चाहिए क्योंकि जो व्यक्ति जीवन में अपने आप पर ही विश्वास नहीं रख पाता है वह जीवन में कभी भी सफलता नहीं प्राप्त कर सकता है। इसलिए व्यक्ति को शरीर और मन की सीमा या मर्यादा से बाहर आना होगा जो कि व्यक्ति के मन को यह भ्रम दिलाता है कि वह अमुक अमुक कार्य नहीं कर सकता। उसके भीतर कार्य करने की क्षमता नहीं है। अपने सुंदर, पूर्ण व्यक्तित्व के उभरने में जो भी शारीरिक और मानसिक बाधाएं हैं उन सबको प्रतिदिन एक एक करके खत्म करना होगा, उनको जीतना होगा। शिवयोग की अति शाक्तिशाली और दुर्लभ लेकिन सरल साधनाएं प्रतिदिन साधक के सभी पांचों शरीरों का शोधन करती हैं और संचित कर्मों के फलीभूत प्राप्त इन सभी बाधाओं को ध्वस्त करती जाती हैं। इस प्रकार साधक हर दिन अपनी नई सीमाओं का निर्माण करता है और शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक रूप से और अधिक शक्तिशाली होता जाता है। इस तरह साधक का आत्मबल बढ़ता जाता है, स्वयं पर और अपनी विस्तृत क्षमताओं पर विश्वास दिनों दिन बढ़ता जाता है और वह अपने जीवन में सफलताओं को प्राप्त करते हुए सफलता के शिखर को प्राप्त करता है।

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