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Showing posts from April, 2023

आपको आशावान क्यों होना चाहिए?

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 आपको आशावान क्यों होना चाहिए? क्या कभी आपने सोचा है कि आपके जीवन में निराशा क्यों आती है? और इससे निजात पाने के लिए हम क्या कर सकते हैं? अगर नहीं सोचा तो आज हम बताएंगे कि इस समस्या से आप कैसे मुक्त हो सकते हैं। जब आप जीवन के किसी पड़ाव में अज्ञानतावश गलत कदम उठा लेते हैं तो स्वभाविक ही आपको निराशा का सामना करना पड़ेगा। ऐसी स्थिति में प्रतिकूल परिणाम मिलने से निराश होने के बजाय, आपको अपने उठाए गए गलत कदम को स्वीकार करते हुए उस गलती को सुधारने के बारे में विचार करना चाहिए। जब तक आप अपने द्वारा किए गए पूर्व कर्म का सुधार नहीं करेंगे तब तक आपको मानसिक शांति प्राप्त नहीं होगी। इसके अलावा उन बुरे कर्मों फल स्वरूप आपको वर्तमान में कष्ट-पीड़ा का भोग करना पड़ेगा। इस कष्टकारक प्रारब्ध से छुटकारा पाने के लिए ही आप के लिए शिवयोग की ध्यान-साधनाएं शिवयोग सिद्ध गुरुओं ने बताई हैं। इन साधनाओं के प्रभाव से आप अपने हताशा भरे जीवन में खुशियां, संपन्नता, समृद्धि और आशाएँ ला सकते हैं क्योंकि हम अपने पाप कर्मों को नष्ट कर सुंदर भविष्य का सृजन कर पाते हैं। अध्यात्म के मार्ग पर चलकर, नकारात्मक ऊर्जा को सकारा...

क्या ईश्वर दंड देते है?

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  क्या ईश्वर दंड देते है?  न जाने किसने यह हमारे मन में डाल दिया गया है कि ईश्वर हमारे द्वारा किए गए अच्छे-बुरे कामों को लेखाजोखा लिखता है। इसके बाद जब मृत्यु होती है तब वह हमारे अपराधों की सजा देता है। जबकि वास्तव में ऐसा कुछ भी नहीं होता है, क्योंकि आत्मा तो अजर और अमर है। इसे न अस्त्र काट सकता है, न अग्नि जला सकती है, न पानी भिगा सकता है तो दंड मिलने की बात कैसे सत्य हो सकती है। हां, हम जो भी कर्म करते हैं वही हमें सजा देते हैं। अगर हमारे अच्छे कर्म है तो हमारा जीवन सुखद होगा वहीं अगर हमारे द्वारा किए गए बुरे कर्म ही ज्यादा है तो हमें जीवन में कष्ट, रोगों, पीड़ा का भोग करना पड़ता है। प्रकृति का बहुत सीधा नियम है यदि आप बुरे कर्म बांधे हैं तो दंड भोगना ही पडे़गा और यदि अच्छे कर्म बांधे है तो हमें जीवन में सुख का अनुभव प्राप्त होता है। #shivyogwisdom #awareness #consciousness #divinity #karmicconnection #release

साधना का उद्देश्य जानना जरूरी क्यों?

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  साधना का उद्देश्य जानना जरूरी क्यों? बाबाजी कहते हैं कि साधना करो तो मन में उसका एक ध्येय रखो, बिना ध्येय के साधना व्यर्थ है। शिवयोग में साधक अपने जीवन की किसी समस्या का समाधान पाने आता है, और अपने जीवन में सुखद रुपान्तरण अनुभव करने लगता है। आध्यात्मिकता जीवन जीने का सही तरीका सिखाती है, साथ ही एक साधक के निगेटिव सोच और कर्मों से उसे मुक्त करती है। शिवयोगियों को बाबाजी हमेशा 200 प्रतिशत जीवन जीना सिखाते हैं। इस संसार में रहकर जो भी कार्य जीविका के लिए करते हो, उसे 100% करो, और अपने अंतर्मन को 100% आध्यात्म से जोड़े रखो। आध्यात्म में भी आपको उच्चतम ध्येय रखना चाहिए। #shviyogwisdom #sadhna #awareness #spirituality #divineconnection

आध्यात्मिकता क्यों जरूरी है?

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  आध्यात्मिकता क्यों जरूरी है? इस संसार में जन्म लेने वाला हर व्यक्ति अच्छा से अच्छा जीवन जीने की संकल्पना करता है। जिसके लिए वह कर्म करता है और भौतिक संसाधनों को एकत्र करने में प्रयासरत रहता है। क्योंकि व्यक्ति इस संसार में आने के बाद भौतिकता को ही वास्तविकता मान बैठता है। वह भौतिक संसाधनों के उपयोग को ही आनंद समझने लगता है। जबकि वास्तव में यह सब उसकी अज्ञानता का प्रमाण देते हैं। क्योंकि व्यक्ति को जब आध्यात्मिक उन्नति होती है और उसे आत्मज्ञान की अनुभूति प्राप्ति होती है, तब उसे पता चलता है कि माया के जाल में फंसकर जिसे वह वास्तविकता मान रहा था, वह सब मिथ्या है। सत्य तो ये है कि जिसने इस संसार को बनाया है, उसी के अंश हम सभी हैं। जिसका इस संसार में जन्म लेने का एक उद्देश्य था, जिसको वह भूल चुका था। इसी कारण से वह इस संसार में बार-बार जन्म-मरण के बंधन में बंधकर रह गया है। आध्यात्मिक जीवन ही व्यक्ति को सत-चित-आनंद की अनुभूति करा सकता है। #shivyogwisdom  #spirituality  #awareness  #mindfulness  #peaceofmind  #thoughts

क्रोध आने पर क्या करें?

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क्रोध आने पर क्या करें? शास्त्र कहते हैं कि क्रोध मनुष्य के पतन का मूल कारण होता है। क्योंकि जब मनुष्य क्रोध अवस्था में होता है तो उसके मन में बदले का भाव दूसरे के प्रति होता है। इस भाव के चलते मनुष्य अपने सुखद जीवन को अधोगति की ओर लेकर चला जाता है। इसके अलावा यदि मनुष्य इसी भाव के साथ ही मृत्यु अवस्था को प्राप्त करता है तो बदले की ये भावना  कई हजार गुना बढ़ जाती है। जिसके चलते वह अपने अगले जीवन को भी प्रभावित कर लेता है और जन्म-मरण के बंधन में फंस कर रह जाता है। इस लिए शिवयोग कहता है व्यक्ति को सदैव अपने मन में दया और क्षमा का भाव रखना चाहिए। ताकि वह जीवन में आध्यात्मिक उन्नति को प्राप्त कर सद-चित-आनंद की अवस्था को प्राप्त कर सके। क्रोध आने पर मनुष्य को कोई भी फैसला लेने या प्रतिक्रिया व्यक्त करने से बचने का अभ्यास करना चाहिए। क्रोध को दूर से देखने की कला सीख लेने से धीरे-धीरे क्रोध तिरोहित होने लगता है। #shivyogwisdom #peaceofmind #meditation #spirituality #awareness

कष्ट क्यों आता है?

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कष्ट क्यों आता है? मनुष्य के जीवन में कष्टों का आना स्वभाविक नहीं होता क्योंकि जो भी जीवन में सुख-दुःख और कष्ट आते हैं उनकी कोई न कोई वजह होती है जिसको पैदा करने वाला कोई और नहीं बल्कि आप खुद ही होते हैं। माया-मोह, तृष्णा आपके जीवन में कष्टों का मुख्य कारण होते हैं। जब आपकी एक इच्छा पूरी होती है तो इसके बाद स्वतः ही आपके मन में दूसरी इच्छा उत्पन्न हो जाती है। माया-मोह और तृष्णा से ग्रसित मन में कभी भी संतोष नहीं होता है क्योंकि हम भौतिक सुखों को ही सत्य मान बैठते हैं, जिसके कारण जीवन में कष्टों को भोगना पड़ता है। इस तृष्णा और माया-मोह से मुक्त होने के लिए ही सिद्धों ने हमें अध्यात्म का मार्ग दिखाया है जिसको अपना कर हम अपने दैनिक जीवन में शिवोहम की अवस्था को प्राप्त कर सकते हैं। इस अवस्था में पहुंचने के बाद व्यक्ति के मन में व्याप्त इच्छाएं स्वतः ही समाप्त हो जाती हैं और आप अपने वास्तविक स्वरूप को जान पाते हैं कि आप कौन हैं, आपका इस संसार में जन्म लेने का उद्देश्य क्या है? #shivyogwisdom #awareness #mentalawareness #mindfulness #consciousness