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Showing posts from August, 2023

ध्यान-साधना का महत्व क्या है?

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  ध्यान-साधना का महत्व क्या है? शास्त्र कहते हैं कि जब ईश्वर ने साकार रूप धारण किया था। तब शिव से ही नारायण की उत्पत्ति हुई थी। इसके बाद नारायण की नाभि से कमल की नाल निकली, जिससे ब्रह्मा जी उत्पन्न हुए। इसके बाद भगवान ब्रह्मा और नारायण को उनके वास्तविक स्वरूप का ज्ञान तभी हुआ, जब उन्होंने तप किया था। ठीक इसी प्रकार मनुष्य का जीवन भी तप के बिना अधूरा और निरर्थक है। साधना के बिना उसका शुद्धिकरण नहीं हो सकता है और वह अपने आप से परिचित भी नहीं हो सकता है। हर व्यक्ति को यह जानने की आवश्यकता है कि वह कहां से आया है और उसके जीवन का मूल उद्देश्य क्या है। इस सवाल का जवाब व्यक्ति को साधना के माध्यम से ही प्राप्त हो सकता है और उस मूल उद्देश्य की पूर्ति कर वह अपने जीवन को पूर्ण कर सकता है। #shivyogwisdom #dhyana #purification #purpose #mindfulness #consciousness

कल्पना शक्ति का प्रयोग कैसे करें?

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  कल्पना शक्ति का प्रयोग कैसे करें? शास्त्रों में एक बात बहुत ही प्रमुखता से कही गई है, वह है हमारी कल्पना। हमारी कल्पना का स्वरूप कैसा होना चाहिए, इस पर भी हमारे सिद्धों ने हमें विस्तृत रूप में बताया है। शिवयोग के सिद्धों की मानें तो हमारे जीवन जीने में हमारी कल्पनाओं का बहुत बड़ा योगदान होता है। जैसी हमारी कल्पनाएं होंगी, वैसा ही हमारे जीवन का निर्माण होगा। इस लिए आप जीवन में जो कुछ भी चाहते हैं, उसी की कल्पना आपको करनी चाहिए। जिन चीजों या परिस्थितियों से आप अपने को दूर रखना चाहते हैं, उनकी कल्पना आपको कभी भी नहीं करनी चाहिए। एक अच्छे जीवन के अभिलाषी व्यक्ति जिन चीजों से दूर रहना चाहते हैं वे नकारात्मकता के भाव से युक्त होती हैं। जब मन में नकारात्मक भावों का प्रभाव होता है तो हमारे अंदर की सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह कम होने लगता है और हम जीवन में चिंता, कष्ट, बीमारियों की चपेट में फंस कर रह जाते हैं। #shivyogwisdom #creativity #mindfulness #consciousness #mindset #thoughts

शारीरिक योग के साथ आंतरिक योग भी जरूरी क्यों?

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  शारीरिक योग के साथ आंतरिक योग भी जरूरी क्यों? शिवयोग में शारीरिक और आंतरिक, दोनों योग का समागम है। जिस प्रकार हम शिवयोग की शारीरिक और प्राणिक क्रियाओं के माध्यम से अपने संचित कर्मों को नष्ट कर अपने वर्तमान को अपने अनुसार निर्मित करते हैं उसी प्रकार आंतरिक योग के माध्यम से हम अपने पांचों शरीरों को परमात्मा से जोड़ने की कला को सीख पाते हैं। इस कला को हालांकि बहुत ही छिपा कर रखा गया है, ताकि मानव कल्याण के पुण्य कार्य को साकार किया जा सके। आंतरिक योग के माध्यम से हम सभी रोगों और पीड़ा का निदान कर सकते हैं। शिवयोग शिविरों में हुए मेडिकल परीक्षणों की रिपोर्टों को देखकर डाक्टरों ने भी इस बात को स्वीकारा है कि आज की आधुनिक चिकित्सा प्रणाली के साथ यदि शिवयोग चिकित्सा को जोड़ दिया जाए, तो हर लाइलाज बीमारी को संपूर्ण रूप से ठीक किया जा सकता है। #shivyogwisdom #healthandwellness #InnerStrength #inneryoga #mindfulness #divinity #prankriyan #cureispossible

साधना का उद्देश्य क्या होना चाहिए?

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 साधना का उद्देश्य क्या होना चाहिए? शिवयोग के सिद्धों का कहना है कि साधना कोई आडम्बर या अंधविश्वास नहीं है। साधना एक वैज्ञानिक प्रक्रिया है और इसे पूरे वैज्ञानिक रूप से करना चाहिए। हम लोगों से यही गलती साधना करते वक्त होती है कि हम अपने विचार स्पष्ट नहीं करते हैं। जिसके कारण हम जीवन में जैसे परिणाम या फल प्राप्ति के लिए साधना करते हैं, वह फलीभूत नहीं हो पाते हैं। इसलिए साधना करते समय हमें अपने विचारों और अपने उद्देश्य को स्पष्ट रखना चाहिए। तभी हमें जीवन में सकारात्मक परिणाम देखने को मिलेंगे। यहां पर एक बात विशेष रूप से ध्यान देने वाली है कि साधना से प्राप्त हुई उपलब्धियों पर कभी भी अहंकार नहीं करना। क्योंकि अहंकार के कारण प्राप्त हुई उपलब्धियां स्वतः ही समाप्त होने लगती हैं। इस लिए शिवयोग साधक को सरल और अपने लक्ष्य पर केंद्रित रहने की बात कहता है। #shivyogwisdom #sadhna #lifetransformation #awareness #positivemindset #divinity

The Guru Helps You Merge with Your Real Self | Shiv Yog

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  The Guru Helps You Merge with Your Real Self | Shiv Yog Shiv Yog , a blend of ancient wisdom and modern techniques, guides individuals on a transformative journey of merging with their true selves. With an emphasis on self-realization and connection to the divine, Shivyog leads to a fulfilling and purposeful life. Benefits of Shiv Yog : 1. Self-Realization: Shivyog teachings guide practitioners to explore their inner world, discover their innate potential, and embrace their true nature. By delving into practices such as #meditation, #mindfulness, and #self-reflection, individuals gain a deeper understanding of themselves and their place in the universe. 2. Liberation from Limitations: The Guru's guidance helps individuals break free from the shackles of self-doubt, fears, and past conditioning. Through Shiv Yog , practitioners learn to release limiting beliefs, patterns, and attachments, allowing them to experience a greater sense of freedom and expansion. 3. Spiritual ...

संयम और शांति के लिए क्या करें?

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  संयम और शांति के लिए क्या करें? मन और अहंकार से परे जाकर इस जिज्ञासा का मन में उठना कि हम वास्तव में कौन हैं? और हमारे जन्म लेने का वास्तविक उद्देश्य क्या है? इसी प्रक्रिया को आध्यात्मिक विकास कहते हैं। इस अवस्था को प्राप्त करने के बाद व्यक्ति को आत्मज्ञान की अनुभूति होती है। वह अपने जन्म लेने के उद्देश्य से परिचित होकर जीवन में संयमित और शांत अवस्था को प्राप्त करता है और ईश्वर से जुड़ने की प्रक्रिया में लग जाता है। आध्यात्मिक विकास ही हमें यह जानने में मदद करता है कि नकारात्मक विचार कहीं हमारे अस्तित्व और मन दोनों को ही प्रभावित तो नहीं कर रहे? जो हम अहंकार और अज्ञानता के चलते नहीं समझ पाते हैं। आध्यात्मिक विकास हमारी काल्पनिक अवधारणाओं को दूर करने की एक प्रक्रिया है। यह हमारे विश्वास और सकारात्मक विचारों को जागरूक करता है जिससे हम तनाव, भय और चिंता से मुक्त जीवन जीने के साथ ही साथ सत्-चित्-आनंद की अनुभूति भी करते हैं। #shivyogwisdom #awareness #mindfulness #peace #spirituality #meditation

दूसरों का भला सोचने से क्या होता है?

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दूसरों का भला सोचने से क्या होता है? जो व्यक्ति दूसरों का हक छीन कर कुछ प्राप्त करने की भावना मन में रखता है, वह जीवन में कभी भी सुखी नहीं रहता है। यह मानवता नहीं पशु भाव है। कर्म का यही सिद्धांत है कि जो तुम दूसरों को दोगे, उसका कई गुना तुम्हारे पास लौटकर भी आएगा, इसलिए अपने भले के लिए किसी दूसरे का बुरा करने की चेष्टा नहीं करना। सिद्धों ने मानव का मार्गदर्शन करते हुए कहा है कि मनुष्य में सदैव देव-भाव होना चाहिए, ताकि जब वह कोई कार्य करे तो उसमें अपने साथ-साथ दूसरों का भी भला हो सके, ऐसे विचार उसके मन में सदैव बने रहना चाहिए। यही भाव उसे पशु -भाव सेे ऊपर उठाकर देव -भाव में स्थापित करते हैं। सबका भला सोचने वाला व्यक्ति पुण्य कर्मों की वह पूंजी इकठ्ठा करता है जो जीवन पर्यन्त उसके सुखों का कारण बनती हैं। ऐसे ही व्यक्ति अपनी चेतना की उन्नति कर सदैव अपने लक्ष्य की प्राप्ति करते हैं। #shivyogwisdom   #mindfulness   #meditation   #emotions   #divinity