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Showing posts from March, 2023

सुखी जीवन का सरल मंत्र क्या है?

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  सुखी जीवन का सरल मंत्र क्या है?  शिवयोग कहता है कि व्यक्ति को जैसा जीवन जीना है, उसे वैसे ही विचार अपने मन में लाने होंगे। क्योंकि हमारे विचारों से ही हमारे जीवन का निर्माण होता है। इसी लिए एक आध्यात्मिक व्यक्ति को सकारात्मक विचारों को मन में रखने की बात कही गई है। क्योंकि जब आपके मन में दूसरों के प्रति सकारात्मक विचार होंगे तो आपका जीवन निर्मल और पवित्र होगा। जिसके कारण आप संसार में आध्यात्मिक और सामाजिक दोनों ही रूप में उन्नति करते हैं। वहीं जिन लोगों के मन में दूसरों के प्रति सदैव कर्स होता है, उनका जीवन कष्टों के बीच गुजरता है। ऐसे व्यक्ति जन्म लेने के मूल उद्देश्य से भटक जाते हैं और कई जन्मों तक जन्म-मरण के बंध में फंसे रहते हैं। इस लिए शिवयोग में साधकों को ध्यान-साधना के माध्यम से मन को स्वच्छ और निर्मल करने का ज्ञान दिया जाता है। ताकि वह इस जन्म-मरण के बंधन से मुक्त होकर शिवोहम की अवस्था को प्राप्त कर सकें। #shivyogwisdom #happiness #positivethinking #spirituality #healthconscious

Understand the Myths about Food and REVOLUTIONIZE your Life | Shiv Yog

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  Understand the Myths about Food and REVOLUTIONIZE your Life | Shiv Yog Food is not only an emotion, but also a passion. We become what we eat. We think according to what we eat. There is a lot of information on the Internet and hearsay among people about what to eat and what to avoid. It gets overwhelming what to #believe and what not to. Moreover, there are many cultural norms and superstitions related to #food . We all want to eat #well , stay #healthy , be strong and immune, ward off diseases, increase our #energy and feel good in general. There are various #myths about food and food habits that need to be busted, to consume a #healthy , nutritious and balanced diet for a fit body and mind. 𝑴𝒚𝒕𝒉 - 𝑪𝒂𝒓𝒃𝒐𝒉𝒚𝒅𝒓𝒂𝒕𝒆𝒔 𝒂𝒓𝒆 𝒃𝒂𝒅: It is a myth that carbohydrates make you fat and avoiding them makes you lose weight. In fact, the right types of #carbohydrates are good for the body. Avoiding refined carbs such as white bread, white rice and processed junk food is ...

शक्ति साधना का क्या महत्व है?

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  शक्ति साधना का क्या महत्व है? सनातन धर्म में शक्ति पूजा का विशेष महत्व बताया गया है। शक्ति साधना का महत्व कितना होता है इसका अंदाजा आप यहीं से लगा सकते हैं कि शक्ति की साधना किए बिना शिव की कृपा भी नहीं मिलती। क्योंकि शिव के साथ माता पार्वती और भगवान विष्णु के साथ माता लक्ष्मी का सुमिरन हमारे सिद्धों ने किया है तभी वह सिद्धत्व की प्राप्ति कर सकें हैं। चैत्र नवरात्रि के दिनों में ही सूर्य का राशि परिवर्तन होता है। यह नौ दिन मानव कल्याण के लिए विशेष पर्व से कम नहीं हैं। शास्त्रों में भी यह बात कही गई है कि जो व्यक्ति नौ दिनों की इस नवरात्रि में मां दुर्गा की व्रत-साधना करता है, उसकी हर मनोकामना पूर्ण होती है क्योंकि इन दिनों मां की अपने साधकों पर विशेष अनुकंपा होती है। जिसके फल स्वरूप ही परिवार में सुख-शांति व समृद्धि आती है और मां अपने साधकों की मनोकामना पूर्ण करती हैं। #shivyogwisdom #ancestorswisdom #meditation #awareness #consciousness

संचित कर्मों से मुक्ति कैसे पाएं?

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संचित कर्मों से मुक्ति कैसे पाएं? लोग कहते हैं कि भविष्य यानि भाग्य में जो लिखा है उसे तो भोगना ही पड़ेगा। यह कथन वास्तविक रूप से सत्य नहीं है क्योंकि शिवयोग में कहा गया है कि व्यक्ति अपना भविष्य ही नहीं बल्कि वर्तमान को भी बदल सकता है। शिवयोगी गुरु जब शिष्य को शिवयोग की सिद्ध और दिव्य साधनाओं में दीक्षित करते हैं तब वो उसकी सोयी हुई अंतर चेतना को जागृत कर देते हैं। अनंत की दिव्य चेतना के साथ जुड़ने के लिए मंत्र के बीज को साधक के हृदय में स्थापित कर देते हैं। प्रतिदिन जब साधक अनंत की दिव्य शक्तियों का आवाहन करके अपनी साधना करता है तो धीरे धीरे उसके तप की ऊर्जा में उसके संचित कर्म जलकर नष्ट होते हैं और उसका वर्तमान और भविष्य बदलना आरंभ हो जाता है। शिवयोग की वो तीनों शक्तियां जिनकी मदद से व्यक्ति अपना भूत, वर्तमान और भविष्य को बदल पाता है, वो हैं- पहली- संजीवनी शक्ति: संजीवनी शक्ति भगवान महामृत्युंजय की वो शक्ति है जो ब्रह्माण्ड की 32 प्रकार की जीवनी शक्तियों के योग से बनी है और साधक को अनंत की शक्ति से जोड़ती है। दूसरी - प्राण शक्ति: हर जीव के भीतर विद्यमान प्राण शक्ति ही वो शक्ति है जिसक...

आध्यात्म का सही अर्थ क्या है?

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  आध्यात्म का सही अर्थ क्या है? सतयुग से लेकर कलयुग तक में अध्यात्म ही एक ऐसा मार्ग है, जिसके सहारे सिद्धों ने सिद्धत्व की प्राप्ति करने में सफलता प्राप्त की है। गौतम बुद्ध से लेकर महावीर जैन ने भी इसी मार्ग पर चलकर शिवोहम की अवस्था को प्राप्त किया। आज हम अध्यात्मिक होने की बात तो बहुत करते हैं लेकिन वास्तव में आज हम अध्यात्म से बहुत दूर हैं। अध्यात्म का अल्पज्ञानियों ने अपनी-अपनी भाषा में अलग-अलग प्रकार से वर्णन किया है जो वास्तव में अध्यात्म का हिस्सा भी नहीं है। अध्यात्म व्यक्ति को कभी भी कर्तव्यों के निर्वहन से नहीं रोकता है। तभी तो अध्यात्म मनुष्य को अपने माता-पिता, गुरु, पत्नी, बच्चे और समाज के प्रति जो-जो कर्तव्य एक व्यक्ति के होते हैं उन सभी का निर्वाहन करने की बात करता है। जब तक व्यक्ति अपने कर्तव्यों के निर्वहन से मुक्त नहीं होगा तब तक वह अध्यात्म के मार्ग पर चलकर आत्मा का परमात्मा से विलय नहीं कर सकता है। अध्यात्म का मार्ग ही है जो हमें निराकार परब्रह्म से मिलाता है। जिसके बाद व्यक्ति इच्छाओं से मुक्त होकर मोक्ष की अवस्था को प्राप्त करता है। #shivyogwisdom #consciousness...

आप दुखी क्यों हैं?

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आप दुखी क्यों हैं? वैसे तो सभी अल्पज्ञानी लोग यही उपदेश देते हैं कि मनुष्य के जीवन में सुख-दुःख आना स्वभाविक है। दुःख के बाद सुख और सुख के बाद दुःख आना तय है। लेकिन शिवयोग इन बातों को नहीं मानता। व्यक्ति अपने जीवन में सुख-दुःख का निर्माण स्वयं करता है। इसलिए वह जो चाहता है, उसकी संकल्पना करता है जो उसके जीवन में आता है। दुःख का मुख्य कारण हमारे अंदर व्याप्त अहंकार होता है। क्योंकि जो व्यक्ति अहंकार पर विजय प्राप्त कर लेता है उसके जीवन में कभी भी दुःख नहीं होता। क्योंकि अहंकार कीचड़ के समान होता है, इसमें जो फंस गया वह कभी भी फिर निकल नहीं सकता। इस लिए मनुष्य को अहंकार से बचने की बात हमारे सिद्धों ने कही है। अहंकार से बचने के लिए ही साधना का मार्ग बताया गया है। जिनको नियमित रूप से अपने जीवन में अपनाकर अपने इस जन्म को ही नहीं बल्कि उस जन्म को भी सुधार सकते हैं। #shivyogwisdom #awareness #happiness #consciousness #creator

क्यों आते है जीवन में कष्ट?

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क्यों आते है जीवन में कष्ट?  क्या कभी हमने यह विचार किया है कि हमारे जीवन में कष्ट क्यों आते हैं। शायद नहीं, क्योंकि हम कष्टों के लिए किसी और को ही जिम्मेदार मानते हैं। जबकि ऐसा नहीं है, हमारे जीवन में जो कष्ट आते हैं, उनकी उत्पति हम अनजाने में स्वयं ही करते हैं। जब हम क्रोध, मोह, लोभ, अहंकार, घृणा या निंदा जैसे निगेटिव विचारों को मन में जन्म देते हैं, तब हमारा जीवन इनके अनुरूप ही आकार लेने लगता है और हमारी इच्छाएं भी इनके वशीभूत हो जाती हैं। हमारे जीवन में जो कष्ट आते हैं उनके जन्मदाता और कोई नहीं बल्कि हम स्वयं हैं। इस लिए मनुष्य को अपने मन में किसी के भी प्रति नकारात्मक विचार नहीं लाना चाहिए, क्योंकि जितना हम किसी और के लिए अभिशाप करते हैं, वह हमें उल्टा भोगना पड़ता है। इस अभिशाप के चलते ही हम अपने जीवन में कष्टों को पैदा कर लेते हैं। #shivyogwisdom #awareness #consciousness #positivemindset #meditation

आनंदमय जीवन जीने का मंत्र क्या है?

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आनंदमय जीवन जीने का मंत्र क्या है?  सभी लोग अपना जीवन बहुत ही अच्छी तरह से जीना चाहते हैं। जिसके लिए वह कठिन परिश्रम भी करते हैं और इसके बावजूद कहीं न कहीं जीवन में तनाव व परेशानियों का सामना करना पड़ता है। क्योंकि मनुष्य लाख प्रयास के बावजूद भी जीवन में वो आनंद नहीं प्राप्त कर पाता जिसकी उसने कल्पना कर रखी है। ऐसी ही कल्पनाओं को सच करने के लिए शिवयोग फोरम की स्थापना की गई है। ताकि व्यक्ति को वास्तविक सुख की अनुभूति प्राप्त हो और अपनी तैयार की गई कल्पनाओं के अनुसार जीवन को जी सके। शिवयोग कहता है कि जीवन को आनंद की अवस्था में जीने के लिए मनुष्य को एक-दूसरे के प्रति आदर और सम्मान का आमंत्रण करना चाहिए। यह वह तरीका है जिसके सहारे व्यक्ति जीवन को इस प्रकार जी सकता है जैसे उसने कल्पना की थी। तुम परमात्मा का अंश हो तुम जैसे चाहो वैसे अपने जीवन को जी सकते हो। अध्यात्म ही इकलौता वह मार्ग है जिसके सहारे व्यक्ति शिवोहम की स्थिति को प्राप्त कर सकता है और जीवन में प्रेम का भाव लाकर ईश्वर की अनुकंपा को प्राप्त कर सकता है। #shivyogwisdom #consciousness #infinitepower #awareness #peaceofmind

क्या कर्मों को काटा जा सकता है?

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  क्या कर्मों को काटा जा सकता है? अक्सर अज्ञानी लोग कहते हैं कि भाग्य में जो लिखा है उसका भोग तो करना ही पड़ेगा। इस बात को शिवयोग नहीं स्वीकार करता। शिवयोग कहता है कि ऐसी कोई चीज नहीं है जो मनुष्य कर नहीं सकता हो। यहां तक कि वह अपने प्रारब्ध को भी बदलने की क्षमता रखता है। एक शिवयोगी गुरु की कृपा के चलते अपने कर्मों को काट सकता है, क्योंकि कर्म को कर्म ही काटता हैं। शिवयोग में तीन प्रकार के कर्म मनुष्य को बताए गए हैं, जिनकी मदद से वह अपने प्रारब्ध को बदल सकता है। पहला कर्म है सुकर्म (सेवा का कर्म) जिससे मनुष्य केे बुरे कर्म कटते हैं। वहीं दूसरा ईश्वर साधना जिसमें जप, तप, व्रत और दान के माध्यम से पाप कर्म काटे जाते हैं और तीसरा माता-पिता व गुरु सेवा, जिसके द्वारा मनुष्य सब बुरे कर्म काट सकता है। इन सभी कर्म को करने से पहले मनुष्य को ईश्वर का कर्म मानकर करना होगा, तभी व्यक्ति फलहीन हो पाता है। जिसके चलते व्यक्ति भविष्य की दुर्घटना, रोग, दोष और विकारों से बच सकता है। #shivyogwisdom #karmicconnection #karmiclessons #awareness #consciousness

जीवन में गुरु कृपा क्यों जरूरी है?

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  जीवन में गुरु कृपा क्यों जरूरी है? हमारे सनातन धर्म में गुरु को विशेष महत्व दिया गया है। गुरु के महत्व को हम इस बात से समझ सकते हैं कि गुरु को ईश्वर से भी बड़ा माना गया है। गुरु कृपा करता है, शक्ति देता है, ज्ञान देता है, हमारे जीवन को नई दिशा देता है। गुरु की कृपा के बाद ही हमें ईश्वर का साक्षात्कार हो सकता है। ईश्वर और साधक के बीच संबंध स्थापित करने वाला भी गुरु ही होता है। गुरु मार्ग दर्शन करते हुए हमें अध्यात्म के मार्ग पर लाता है -वह मार्ग जिस पर चलकर हम अपने जीवन के मूल उद्देश्य की पूर्ति कर सकते हैं। मनुष्य जब तक अपने जन्म लेने के उद्देश्य को पूर्ण नहीं करता है, तब तक वह इस जन्म-मरण के बंधन से मुक्त नहीं हो सकता है। इसे हम साधारण भाषा में मोक्ष भी कहते हैं। मोक्ष प्राप्ति का मार्ग हमें गुरु ही दिखाता है, जिसकी प्राप्ति के लिए हमें उस मार्ग पर चलना होता है। #shivyogwisdom  #GuruGrace  #shivyogsanatan  #awareness  #consciousness